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"पर्यावरण, योग एवं सामाजिक सुरक्षा संस्थान" ने अपने हाथों में त्रिकोणात्मक कार्यों को सम्पन्न करने का बीड़ा उठाया है। जिससे कि समाज स्वस्थ, सुन्दर, सशक्त, आकर्षक व दिव्य बनें। इस पथ में आने वाली बाधाओं से समाज को सुरक्षित रखना स्वाभाविक कर्त्तव्य बनता है। आज भारत को ही नहीं अपितु पूरे विश्व को इन तीनों क्षेत्रों में कुछ करने की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है।
आज प्रदूषण क्यों है, इस पर चर्चा करना मेरा ध्येय नहीं है। मैं यह सन्देश आप तक पहुंचाना चाहती हूँ कि जिस भी परिवेश में आप रहते हैं वह सुन्दर हो। वह सुन्दर तभी होगा जब आप उसे साफ रखेंगे। स्वच्छ स्वयं रहेंगे, औरों को भी रखने में तत्पर रहेंगे। सुन्दर व स्वच्छ परिवेश ही स्वर्ग-सा प्रिय बनेगा। स्वच्छ हरित वातावरण स्वच्छ वायु का उत्पादक व प्रसारक होगा। ऐसी स्थिति में मन में विचार भी सुन्दर ही उत्पन्न होंगे। सुन्दर व सुखद विचार समाज में शांति और एकता के आधार बनेंगे। अतः जागरूकता लाइए कि वातावरण आकर्षक रहे, साफ रहे और शांत रहे। ऐसे कुछ प्रोजेक्ट्स आप अपनाएं। सरकार को पर्यावरण परियोजनाओं में भी आप अपना सहयोग दें। कूड़ा निश्चित स्थान पर डाला कूड़ा कूड़े दान में होना बाहर ना मैदान में हो। प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग न हो तो बेहतर होगा। मजबूरी है तो उसमें अपनी समझदारी दिखाइए। कूड़ा-कर्कट इस प्रकार से रखें कि उसका सदुपयोग हो सके। हरियाली बनी रहे जो शुद्ध हवा दे और आँखों को सुन्दर भी लगे। पेड़-पौधे लगाइये। जन्मदिन पर या विशेष उत्सव पर पौधे भेंट में करें या लगाएं। परम्परा को बदलिए और समाज को बचाइये। याद रखे प्रकृति को बचाइये और भविष्य को सुरक्षित रखिए।
योग को आज की संस्कृति बनाने के लिए विश्व व्यापी प्रयास हो रहे हैं। भारतीय संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग है योग। । आज के तनाव पूर्ण, त्रस्त, स्वार्थी और बीमार तन-मन के लिए योग की महती आवश्यकता है। एलोपेथिक डॉक्टर, वैज्ञानिक भी योगाभ्यास को महत्व देने लगे हैं। इस संस्थान द्वारा अधिकांशतः एकादमियों, फोर्स, सरकारी अधि कारियों के लिए योग का प्रशिक्षण दिया जाता रहा है। उसकी कुछ जानकारी 'सुकृति' में आप देखेंगे। आप स्वयं योग को अपनाइए और सुख-शांति को अनुभव कीजिए। धीरे-धीरे सारा समाज एकता, प्रेम शांति व आनंद का केन्द्र बन जाएगा। योग केवल व्यायाम नहीं है वह अनन्त की अनुभूति का माध्यम भी है। योग आपको सबकुछ देगा-संयम, सन्तोष, प्रफुल्लता, सही सोच, मितव्ययता, सरलता, उदारता, सौन्दर्यबोध, ज्ञान, भक्ति, कर्मनिष्ठा, सत्य-प्रेम, क्षमाशीलता, अहिंसात्मक विचार, ईमानदारी, परोपकार, निष्काम सेवाभाव आदि।
सामाजिक सुरक्षा केवल सीमा की नहीं चाहिए अपितु उन रूढ़ियों, दुष्प्रचारों, बुरे विचारों से करनी होगी जो हमारी परम्पराओं को, हमारे आदेशों को तथा हमारी भारतीय पहचान को नष्ट कर रहे है। जो हमें भौतिकता की आग में झोंक रहे हैं। हमें उनसे बचते हुए अपने भीतरी स्वर्ग में प्रवेश करके आत्म-स्वरूप में स्थित होना होगा। तभी देश गुरुत्व के बल को विकसित करके विश्व गुरु के स्थान को पुनः प्राप्त कर सकेगा।
संस्थान समय-समय पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यकर कर्मठ कार्यकर्त्ताओं को, शिक्षकों को तथा अधिकारियों को सम्मानित करता रहा है। चित्र व लेखन प्रतियोगिताएँ कराता रहा है। उसमें हमारे चेयर मैन श्री विजय प्रसाद सिंह पूरी क्षमता, रूचि और सहयोग से संस्थान को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी टीम भी उनका पूरा सहयोग दे रही है। आशा है कि आप भी इस पुण्यकार्य में अपना अंश जोड़ेंगे। इस 'सुकृति' (शुभ रचना) में सहयोग देने वालों को आभार व्यक्त करती हूँ।
श्रीमती कविता
OUR AIM
The "Institute of Environment, Yoga and Social Security" has taken up the task of completing the triangular tasks. So that the society becomes healthy, beautiful, strong, attractive and divine.